मुलताई में पांडरिया देवबाबा मंदिर में भंडारा

मुलताई में पांडरिया देवबाबा मंदिर में भंडारा

मुलताई में पांडरिया देवबाबा मंदिर में भंडारा

मुलताई ब्लॉक के बरखेड़ गांव में रविवार को श्री पांडरिया देवबाबा मंदिर में बैतूल जिले का सबसे बड़ा भंडारा हुआ। कार्यक्रम में 150 चूल्हों पर पांच ट्रॉली पूड़ी, 40 गंज खीर और 40 गंज सब्जी बनाई गई। आयोजन में लगभग 50 हजार से ज्यादा लोगों ने प्रसादी ग्रहण की। इस भोजन को 100 लोगों ने 16 घंटे में तैयार किया है।

श्रद्धालु चेतराम ने बताया कि आयोजन में बरखेड़ के अलावा सावंगा, बंडिया, हतनापुर, सेमरिया, पंडरी, सिलादेही, पिपरिया, घाट पिपरिया, निंबोटी और आसपास के एक दर्जन से ज्यादा गांव के हजारों ग्रामीणों का सहयोग रहता है। भंडारे में शामिल होने के लिए दूरदराज से लोग बरखेड़ पहुंचते हैं। मान्यता है कि बाबा का आशीर्वाद लेने के बाद ग्रामीणों का साल अच्छा गुजरता है। सभी लोग मंदिर में पूजन करने के बाद भंडारे में प्रसादी ग्रहण करते हैं। ग्रामीणों ने बताया कि यहां जिन लोगों की मन्नतें पूरी होती हैं, वे लोग यहां पूजन करते हैं।

शनिवार शाम से बन रहा भोजन

चेतराम ने बताया कि बरखेड़ में आयोजित भंडारे में 50 हजार से ज्यादा लोग प्रसादी ग्रहण करते हैं। ऐसे में शनिवार शाम से ही भोजन बनाने की शुरुआत हो गई थी। सब्जी और खीर शाम से ही बनना शुरू हो गई थी।

मुलताई में पांडरिया देवबाबा मंदिर में भंडारा

नागद्वार यात्रा से आज से शुरू

नागद्वार यात्रा से आज से शुरू

अमरनाथ जैसी कठिन है नागद्वारी यात्रा, साल में केवल 10दिन खुलता है मंदिर

नागद्वार यात्रा से आज से शुरू

नागद्वार यात्रा से आज से शुरू

सतपुड़ा की रानी पचमढ़ी को महादेव का दूसरा घर भी कहा जाता है। यहां जटाशंकर, बड़ा महादेव, गुप्ता महादेव, नाग महादेव, गणेश पर्वत समेत अन्य स्थान हैं। प्रसिद्ध नागद्वार मंदिर पहाड़ों की गुफा में स्थित है और केवल साल में 10 दिनों के लिए खुलता है। श्रद्धालुओं को नागदेवता के दर्शन के लिए 15 किमी लंबी यात्रा करनी पड़ती है। सात दुर्गम पहाड़ों को चढ़कर और सर्पाकार पगडंडियों से मंदिर तक पहुंचा जा सकता है। इसलिए इस यात्रा की तुलना ‘अमरनाथ यात्रा’ से की जाती है। 1 से 10 अगस्त तक यहां मेला लगता है और नागद्वारी यात्रा कहा जाता है।

नागद्वार यात्रा से आज से शुरू :नागफनी से शुरू होगी यात्रा

नागफनी से नागद्वारी की यात्रा शुरू होती है। यहां श्रद्धालु एकत्र होकर यात्रा शुरू करते हैं। यात्रा करीब 15 किलोमीटर की है। यात्रा के दौरान सात पहाड़ चढ़ने होते हैं। इनमें ऊंचे-नीचे सर्पाकार पगडंडियों और सीढ़ियों की मदद से मंदिर तक पहुंचना होता है। यात्रा के रास्ते में भगवान शिव के जयकारे गूंजते रहते हैं। महाराष्ट्र से कई सेवा मंडल यहां पहुंच चुके हैं। श्रद्धालुओं के लिए नागफनी और कालाझाड़ में पेयजल की व्यवस्था भी की गई है। सावन के महीने में शिवजी की आराधना और नागदेवता के दर्शनों के लिए मध्यप्रदेश समेत छत्तीसगढ़, राजस्थान, गुजरात, महाराष्ट्र व अन्य प्रांतों से श्रद्धालु आते हैं।

नागद्वार यात्रा से आज से शुरू : सुरक्षा व्यवस्था में 1000 से अधिक जवान

मेला प्रभारी और एसडीएम संतोष तिवारी ने बताया मेले में सुरक्षा व्यवस्था को ध्यान में रखते हुए मेला अवधि तक एसडीओपी, तहसीलदार, नायब तहसीलदार और राजस्व विभाग के आरआई, पटवारियों के साथ ही जिला प्रशासन के अनेक अधिकारी मौजूद रहेंगे। इसके साथ ही, करीब 700 पुलिस बल, 130 होमगार्ड, 50 आपदा मित्र, 12 एसडीआरएफ के जवान समेत 1000 कर्मचारी व्यवस्थाएं संभालेंगे। पिछले साल से ज्यादा कर्मचारियों की ड्यूटी लगाई हैं।

नागद्वार यात्रा से आज से शुरू :स्लीपर कोच बसें प्रतिबंधित, मार्ग में लगाए साइन बोर्ड

मेला अवधि के दौरान पचमढ़ी जाने वाली स्लीपर कोच बसों के परिवहन पर रोक लगाई गई है। श्रद्धालुओं व सैलानियों के लिए सड़कों की मरम्मत के साथ ही जगह-जगह साइन बोर्ड लगाए गए हैं, जिससे श्रद्धालु भटके नहीं। इसके अलावा, यात्रा के दौरान डॉक्टरों, पैरामेडिकल स्टाफ के साथ ही दवाओं का इंतजाम रहेगा।

नागद्वार यात्रा से आज से शुरू : लैंड स्लाइड और जिप्सी पलटने की घटना के बाद अफसरों ने किया निरीक्षण

मेले के लिए जिला प्रशासन दो महीने पहले से तैयारियां शुरू कर देता है। जून महीने में ही प्रमुख अधिकारियों ने ट्रैकिंग कर नागद्वारी मार्ग का निरीक्षण किया था। 21 जुलाई की अल–सुबह धूपगढ़ मार्ग पर हुए लैंड स्लाइड और नागद्वारी के लिए जा रहे कर्मचारियों की जिप्सी पलटने की घटना के बाद प्रशासन ने गंभीर है। 26 जुलाई को कमिश्नर केजी तिवारी, कलेक्टर सोनिया मीना, एसटीआर फील्ड डायरेक्टर एल कृष्णमूर्ति, जिला पंचायत सीईओ एसएस रावत, एसडीएम संतोष तिवारी, टीआई उमाशंकर यादव समेत सभी अधिकारियों ने नागद्वार यात्रा मार्ग और नागद्वार मंदिर तक ट्रैकिंग की थी। लैंड स्लाइड, जिप्सी के एक्सीडेंट घटनास्थल जाकर देखा था। कमिश्नर केजी तिवारी ने कहा धूपगढ़ मार्ग पर लैंड स्लाइड हुई थी। जिसकी मरम्मत का कार्य जारी है। नागद्वारा पैदल यात्रा मार्ग से वो रास्ते अलग है। बारिश को ध्यान में रखते हुए वाटर प्रूफ टेंट की व्यवस्था की गई है। पार्किंग, मार्ग क्षतिग्रस्त या लैंड स्लाइड की स्थिति में तत्काल मरम्मत के लिए विभागीय अधिकारी तैनात किए गए हैं।

नागद्वार यात्रा से आज से शुरू: एक चूक और गए गहरी खाई में

यात्रा के रास्ते इतने दुर्गम हैं कि हर पल डर बना रहता है कि कदम डगमगाए, तो सीधे गहरी खाई में समा सकते हैं। यात्रा के दौरान हर कदम बहुत संभलकर रखना होता है। पानी में फिसलन भरी ढलान में यह खतरा और बढ़ जाता है। बड़ी-बड़ी चट्टानों से गुजरना होता है। कई बार तो बहते पानी को भी पार करना किसी रोमांच से कम नहीं होता।

नागद्वार यात्रा से आज से शुरू: टाइगर रिजर्व कोर क्षेत्र में आता है नागद्वार

नागद्वारी गुफा, मार्ग सतपुड़ा टाइगर रिजर्व के कोर क्षेत्र में आता है। इस कारण यहां प्रवेश वर्जित होता है। रिजर्व फॉरेस्ट प्रबंधन यहां जाने वाले रास्ते का गेट बंद कर देता है। साल में सिर्फ एक बार ही 10-11 दिनों के लिए नागद्वारी की यात्रा और दर्शन का मौका मिलता है।

नागद्वार यात्रा से आज से शुरू

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Vastu tips: घर में 7 सफेद घोड़े की पेंटिंग किस दिशा में लगाएं

vastu tips by betultoday

vastu tips:

वास्तु में घर की सुख-समृद्धि और खुशहाली के लिए घोड़े की पेंटिंग को लगाना बेहद शुभ माना गया है। मान्यता है कि 7 दौड़ते हुए सफेद घोड़ों की तस्वीर लगाने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं और व्यक्ति हर क्षेत्र में खूब कामयाबी हासिल करता है।

दौड़ते हुए घोड़े की तस्वीर सफलता, उन्नति और ताकत का प्रतीक मानी जाती है। घर में इस तरह की सुंदर तस्वीर लगाने से परिवार के सदस्यों की किस्मत चमक सकती है, लेकिन इस तस्वीर को कहां और किस दिशा में लगाना है। इस बात का खास ध्यान रखना चाहिए। 

आइए जानते हैं घर में 7 दौड़ते घोड़ों की तस्वीर लगाने से जुड़े वास्तु टिप्स…

घोड़े की तस्वीर लगाने के वास्तु नियम :

-वास्तु के अनुसार, कारोबार में तरक्की के लिए दौड़ते हुए 7 घोड़ों का की तस्वीर दक्षिण दिशा में लगाना चाहिए।

-वहीं, घर के उत्तर दिशा में यह तस्वीर लगाना शुभ फलदायी माना गया है। इससे करियर में तरक्की के योग बनते हैं और समाज में खूब मान-सम्मान मिलता है।

-घर के हॉल के दक्षिण दिशा की दिवार पर यह तस्वीर लगा सकते हैं। इसे नौकरी-कारोबार में सफल होने के चांसेस बढ़ेंगे।

-इस तस्वीर को दिवार पर लगाते समय यह ध्यान रखें कि घोड़ों की लगाम बंधी हुई न हो और घोड़े प्रसन्न मुद्रा में दिखाई दे रहे हों।

-घर में सुख-समृद्धि के लिए तांबा, पीतल या चांदी से बनी दौड़ते हुए घोड़े की प्रतिमा उत्तर दिशा में स्थापित कर सकते हैं। मान्यता है कि इससे धन-दौलत में वृद्धि होती है और व्यापार में मुनाफा होता है।

-इस पेंटिंग को स्टडी रूम, लिविंग रूम और वर्क प्लेस पर लगाया जा सकता है। लेकिन बेडरूम में घोड़े की तस्वीर न लगाएं।

-घर में आक्रामक घोड़े की तस्वीर नहीं लगाना चाहिए। कहा जाता है कि शांत स्वभाव की अभिव्यक्ति वाले 7 सफेद घोड़े की तस्वीर परिवार के सदस्यों को सुख-सौभाग्य बढ़ाती है।

डिस्क्लेमर: इस आलेख में दी गई जानकारियों पर हम दावा नहीं करते कि ये पूर्णतया सत्य है और सटीक है। इन्हें अपनाने से पहले संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें।

Vastu tips: घर में 7 सफेद घोड़े की पेंटिंग किस दिशा में लगाएं

ब्रेकिंग न्यूज़ :- उत्तराखंड के चार धाम यात्रा में मंदिर परिसर में मोबाइल फ़ोन बैन

ब्रेकिंग न्यूज़ :- उत्तराखंड के चार धाम यात्रा में मंदिर परिसर में मोबाइल फ़ोन बैन

उत्तराखंड के चार धाम में मंदिर से 200 मीटर दुरी तक मोबाइल फ़ोन पूर्णत: बैन

ब्रेकिंग न्यूज़ :- उत्तराखंड के चार धाम यात्रा में मंदिर परिसर में मोबाइल फ़ोन बैन :- चारो धामों में इन दिनों रिकार्ड तोड़ भक्त यात्री दर्शन करने पहुच रहे है | इसके लिए पुलिस ने भी यात्रियों के लिए नई एडवाइजरी जारी की गयी है | वही मुख्य सचिव राधा रतूड़ी ने चार धाम यात्रा को लेकर दिशा – निर्देश जारी किये है |

उत्तराखंड के चार धाम में मंदिर से 200 मीटर दुरी तक मोबाइल फ़ोन पूर्णत: बैन

उत्तराखंड के चार धाम यात्रा को लेकर बहुत ही बड़ा अपडेट सामने आया है अब से मंदिर से 200 मीटर दुरी तक मोबाइल फ़ोन पूर्णत: प्रउत्तितराखंडबंधित रहेंगे | मुख्या सचिव राधा रतूड़ी ने इस संबंध में दिशा – निर्देश जारी करते हुए कहा है की नियमो का पालन नही करने पर आवश्यक सख्त कार्यवाही की जाएगी |

उत्तराखंड की मुख्य सचिव ने बताया की चारधाम यात्रा में इस साल बहुत अधिक संख्या में श्रद्धालु चार धाम यात्रा में दर्शन हेतु पहुच रहे है जो धर्म के प्रतिक आस्था का एक बहुत उदाहरण है , परन्तु इस यात्रा के बीच कुछ लोग ऐसे भी है जो यात्रा के मध्य आस्था के लिए नही परतु मौज मस्ती के लिए चार धाम यात्रा में आ रहे है और उन लोगो के इसी हरकतों के कारण लोगो की आस्था को ठेस पहुच रही है | मुख्य सचिव ने कहा की इस बात पर विशेष ध्यान देने की जरुरत है की यहाँ आस्था को कोई ठेस न पहुचा सके | धार्मिक भावनाए आहत नही होनी चाहिए |

मुख्य सचिव ने कहा है की तीर्थयात्रियो के लिए साडी व्यवस्था की गयी है | हम सभी प्रदेशो के मुख्य सचिव को पत्र भेज रहे है की कोई श्रद्धालु अपंजीकृत वहां में या अपंजीकृत तरीके से न आये | बहुत ही सख्त जाँच की जा रही है | यात्रा के प्रत्येक पड़ाव पर यात्रियों हेतु भोजन, पानी , शौचालय आदि की बहुत ही अच्छी व्यवस्था की गयी है | यात्रा के दौरान अभी तक चार धाम यात्रा में कोई भी भगदड़ अभी तक नही मची है , अगर कोई भी ऐसी अपवाह फैलता है टो इसके विरुद्ध सख्त कार्यवाही की जाएगी

श्री महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग का भस्म आरती श्रृंगार दर्शन

श्री महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग का भस्म आरती श्रृंगार दर्शन

श्री महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग का भस्म आरती श्रृंगार दर्शन

🙏🌹जय श्री #महाकाल 🌹🙏
श्री महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग का भस्म आरती श्रृंगार दर्शन

महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग (आईपीए: [महाकालेश्वर]) एक हिंदू मंदिर है जो शिव को समर्पित है और बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक है, जिन्हें शिव का सबसे पवित्र निवास माना जाता है। यह भारत के मध्य प्रदेश राज्य के प्राचीन शहर उज्जैन में स्थित है। यह मंदिर पवित्र शिप्रा नदी के किनारे स्थित है।

मंदिर के शिखर दर्शन क्यों जरुरी : जानिये पूरी खबर

Somnath with a flag on top

मंदिर के शिखर दर्शन क्यों जरुरी : जानिये पूरी खबर

मंदिर के शिखर दर्शन क्यों  जरुरी : जानिये  पूरी खबर

मंदिर के शिखर दर्शन क्यों जरुरी : जानिये पूरी खबर

मंदिर जाते हैं और भगवान की पूजा करते हैं, लेकिन अगर किसी कारणवश मंदिर नहीं जा पाते हैं तो मंदिर के शिखर के दर्शन करने से ही लाभ हो सकता है। शास्त्रों में यह भी कहा गया है कि ‘शिखर दर्शनं पाप नाशं’ अर्थात मंदिर के शिखर के दर्शन मात्र से ही सारे पाप नष्ट हो जाते हैं। इससे भक्तों को मंदिर जाने का पुण्य मिलता है।

यह भी माना जाता है कि शिखर को देखने से उतना ही पुण्य मिलता है, जितना मंदिर में भगवान की मूर्ति को देखने से मिलता है। इस कारण मंदिर का शिखर काफी ऊंचाई पर स्थित है ताकि कोई भी आसानी से इसके दर्शन कर शुभ फल प्राप्त कर सके।

मंदिर के शिखर दर्शन क्यों जरुरी : जानिये पूरी खबर

मंदिर के शिखर दर्शन के लिए ध्यान रखने योग्य बातें

मंदिर के शिखर दर्शन क्यों जरुरी : जानिये पूरी खबर

शिखर के दर्शन करने से आपकी सभी मनोकामनाएं पूरी हो सकती हैं और पूजा का पूरा फल मिलता है। वहीं यह भी माना जाता है कि अगर कोई व्यक्ति मंदिर में दर्शन करने के बाद भी चोटी के दर्शन नहीं करता है तो पूजा का पूर्ण फल प्राप्त नहीं होता है। इस कारण शिखर को ऊंचा बनाने के साथ-साथ उसमें एक ध्वजा भी लगाई जाती है, जो श्रद्धालुओं को एकाग्र करने में मदद करती है।

मंदिर के शिखर दर्शन क्यों जरुरी : जानिये पूरी खबर

यदि आप पूजा के लिए मंदिर जाते हैं तो सबसे पहले इसके शिखर के दर्शन करें। इसके लिए सबसे पहले इसकी ध्वजा और कलश को प्रणाम करें। शिखर को देखते हुए आंखें बंद कर अपने इष्टदेव का ध्यान करते हुए मनोकामना पूर्ति की प्रार्थना करें। कभी-कभी आपका शरीर अशुद्ध होने पर भी और आप मंदिर नहीं जा सकते, बाहर से शिखर को देखने से पूजा का फल मिलता है।

मंदिर के शिखर दर्शन क्यों जरुरी : जानिये पूरी खबर

शिखर दर्शन पर जाते समय मंत्रों का जाप करें। यदि आपके इष्ट देवता भगवान शिव हैं तो शिखर दर्शन के समय ॐ नमः शिवाय का जाप करें। विष्णु के भक्तों के लिए ॐ नमो भगवते वासुदेवाय और माता रानी के भक्तों के लिए ‘मंत्र दुं दुर्गायै नमः’ का जाप करें, ताकि आपकी मनोकामना पूरी हो सके।

जिस प्रकार शिखर दर्शन को उपयोगी माना जाता है उसी प्रकार मंदिर की सीढ़ियों पर माथा टेकने से भी मनोकामना पूर्ण होती है और ये सभी भगवान के प्रति सम्मान प्रकट करने के उपाय माने जाते हैं।

मंदिर के शिखर दर्शन क्यों जरुरी : जानिये पूरी खबर

इंदौर में बागेश्वरधाम पीठाधीश्वर पं. धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री की कथा:मंत्री विजयवर्गीय ने किया कथा स्थल का निरीक्षण, रविवार सुबह कलश यात्रा

पं. धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री

बागेश्वरधाम पीठाधीश्वर पं. धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री

सिद्धपीठ बागेश्वरधाम के पीठाधीश्वर पं. धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री की कथा इंदौर के कनकेश्वरी मैदान में 28 अप्रैल से होने जा रही है। इसी तारतम्य में शनिवार को मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने आयोजन स्थल का निरीक्षण कर जरूरी दिशा-निर्देश जारी किए। उल्लेखनीय है कि राम रतन चौधरी एवं भगवती देवी चौधरी की स्मृति में श्रीमद् भागवत कथा का आयोजन रविवार से किया जाएगा। इस सात दिवसीय आयोजन के पहले दिन रविवार को कलश यात्रा निकलेगी और शाम को भजन गायक कन्हैया मित्तल की भजन संध्या भी होगी।

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मुख्य यजमान अक्षत रामचंद्र चौधरी (खातीपुरा) और विधायक रमेश मेंदोला ने बताया कि सात दिवसीय श्रीमद् कथा की शुरुआत 28 अप्रैल को सुबह 10 बजे कलश यात्रा के साथ होगी। यह कलश यात्रा कनकेश्वरी माता मंदिर परिसर से निकाली जाएगी। कथा शाम 4 बजे से होगी। बागेश्वरधाम के पीठाधीश्वर पं. धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री 4 मई तक रोजाना शाम 4 बजे से 7 बजे तक कथा सुनाएंगे। कथा के लिए एक लाख वर्गफीट में तीन पंडाल बनाए गए हैं, जिसमें हजारों भक्तों के बैठने के लिए समुचित बैठक व्यवस्था रहेगी। राजस्थान के मुख्य आध्यात्मिक केंद्र खाटू श्याम मंदिर की प्रतिकृति मंच पर बनाई जा रही है, जिसमें खाटू श्याम बाबा का दरबार भी बनाया जा रहा है। कथा के दौरान रोजाना भगवान का विशेष शृंगार होगा और महाआरती की जाएगी। कथा के साथ-साथ भजन संध्या का भी आयोजन किया जाएगा।

2 मई को दिव्य दरबार भी लगेगा

मुख्य यजमान अक्षत रामचंद्र चौधरी(खातीपुरा) ने बताया कि बागेश्वर धाम सरकार का 2 मई को दिव्य दरबार भी लगेगा, जिसमें दु:खी पीड़ित व्यक्तियों की अर्जी भी लगेगी। पं. शास्त्री कथा में विभिन्न प्रसंगों का वर्णन करेंगे। सात दिनों तक जमकर भक्ति की धारा बहेगी। इस कथा में इंदौर सहित प्रदेशभर के भक्त जुटने की संभावना है। शुक्रवार को विधायक रमेश मेंदोला ने कथा स्थल की तैयारी का जायजा लिया था। पूरा आयोजन की व्यवस्था संभालने के लिए सैकड़ों कार्यकर्ताओं की टीम बनाई गई है। कथा में साधु-संत भी सम्मिलित होंगे।

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राम नवमी विशेष : प्राण प्रतिष्ठा के बाद पहली राम नवमी सदियों बाद सुनहरा दृश्य

राम नवमी विशेष : प्राण प्रतिष्ठा के बाद पहली राम नवमी सदियों बाद सुनहरा दृश्य

प्राण प्रतिष्ठा के बाद पहली राम नवमी

राम नवमी :-

शास्त्रों के अनुसार माना जाता है कि भगवान विष्णु ने सातवे अवतार में भगवान राम के रूप में त्रेतायुग में जन्म लिया था। भगवान राम का जन्म रावण के अत्याचारों को खत्म करने एवं पृथ्वी से दुष्टों को खत्म कर नए धर्म स्थापना के लिए हुआ था। इसीलिये भगवान राम के जन्मोत्सव के रूप में रामनवमी का पर्व मनाया जाता हैराम नवमी पर राम लला मंदिर को विशेष फूलो की सजावट से तैयार किया जा रहा है जिसमे मलेशिया से एलकोनिया, थाईलैंड से ऑर्किड, एनथेरियम , कोलकाता से रजनीगंधा, गेंदा और देश की राजधानी दिल्ली से गुलाब के पुष्प बुलाये गये है ! जिसकी सजावट भक्तो का मन मोह लेंगी !

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राम नवमी के पावन पर्व पर भक्तो का मन मोह रही है मन्दिर की सुन्दरता

राम नवमी पर रामलला मंदिर की सजावट में 350 से ज्यादा कारीगर लगाये गये है जो राम नवमी पर राम लला मंदिर को भव्यता से सजाने के लिए रात दिन कार्य कर रहे है ! राम नवमी के पावन पर्व पर राम लला मंदिर को विदेश एवं स्वदेशी फूलो से विशेष रूप से सजाया जा रहा है जो भक्तो को अपनी और आकर्षित कर मन को मोहित कर रही है !

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राम नवमी पर ऐसे पहुचे राम लला के दर्शन करने

राम नवमी के पवन पर्व पर हर भक्त अपने भगवन के साक्षात् दर्शन करने की इच्छा रखता है ऐसे में अगर आप भी भगवान राम लला के दर्शन करना चाहते है तो आप इस माध्यम से राम लला मंदिर अयोध्या तक पहुच सकते है :-

  • भारतीय रेलवे का सफ़र :- राम नवमी के पवन पर्व पर आप रेलवे की सहायता से अयोध्या राम लला मंदिर तक पहुच सकते है
  • हवाई मार्ग का सफ़र :- राम नवमी के पवन पर्व पर आप हवाई मार्ग की सहायता से अयोध्या राम लला मंदिर तक पहुच सकते है जो हवाई अड्डे से 12 किलोमीटर दूर है यहाँ से आप लोकल टेक्सी के माध्यम से राम लला मंदिर तक आसानी से पहुच सकते है !
  • बस एवं निजी साधन का सफ़र :- राम नवमी के पवन पर्व पर आप बस एवं अपने निजी साधन की सहायता से अयोध्या राम लला मंदिर तक पहुच सकते है जिसे रामलला मंदिर से करीब 5 से 7 किलोमीटर पहले रोका जायेगा !

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राम नवमी पर भक्तो के लिए पुख्ता इन्तेजाम 5000 छोटे बड़े होटल के आलावा धर्मशालाओ में रुकेंगे भक्त

राम नवमी पर रामलला मंदिर में भगवान रामलला का सूर्य तिलक एवं पहली बार अनुष्ठान होने के कारन भक्तो की बहुत अत्यधिक मात्र में भीड़ होने की पूर्ण सम्भानाये है अनुमान लगाया जा रही की इस राम नवमी के पावन पर्व पर 25 से 30 लाख भक्त पहुचने की पूर्ण सम्भानाये है जिनके रुकने हेतु राम लला मंदिर के आस पास एवं अन्य 5000 छोटे बड़े होटल और धर्म शालाओ में रुकने की व्यवस्था की गयी है ! प्रशासन द्वारा भक्तो हेतु फ्री में रुकने के लिए टेंट भी लगवाये गये है जिससे आम भक्तो को कोई दिक्कत का सामना न करना पड़े ! साथ ही 100 से ज्यादा बड़े मंदिरों में रामलला ट्रस्ट की ओर से भंडारे का आयोजन किया जा रहा है। इस्कॉन ट्रस्ट की ओर से भी कई जगहों पर भंडारे का आयोजन होगा। प्रशासन और ट्रस्ट ऐसी व्यवस्था कर रहा है कि कोई भी श्रद्धालु भूखा नहीं रहेगा।

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राम नवमी पर सुरक्षा विशेष :-

राम नवमी के पावन पर्व पर राम लला मंदिर की सुरक्षा हेतु 2000 से ज्यादा सुरक्षा जवान तैनात किये गए है , जो 7 जोन तथा 39 सेक्टर में बाटी गयी सुरक्षा का जिम्मा संभालेगी ! अयोध्या की सुरक्षा व्यवस्था चुस्त दुरुस्त की गई है। सरयू घाट से लेकर राम मंदिर तक 2000 से ज्यादा पुलिस और PAC के जवान मुस्तैदी से तैनात रहेंगे। रामपथ, भक्ति पथ, जन्मभूमि पथ पर बैरियर के माध्यम से भीड़ को नियंत्रित किया जाएगा। पुलिस अधीक्षक नगर मधुबन सिंह ने बताया कि मेला क्षेत्र को 7 जोन और 39 सेक्टर में विभाजित किया गया है।घाट को सुरक्षित करने के लिए जल पुलिस, NDRF, SDRF और बाढ़ राहत की दो PAC कंपनी को भी लगाया गया है। मेला क्षेत्र को लेकर 11 अपर पुलिस अधीक्षक, 150 इंस्पेक्टर, 400 सब इंस्पेक्टर और 1100 कॉन्स्टेबल बाहर से आए हैं।

राम नवमी विशेष : प्राण प्रतिष्ठा के बाद पहली राम नवमी सदियों बाद सुनहरा दृश्य

29 जून से प्रारंभ होगी बाबा अमरनाथ जी की यात्रा

श्री अमरनाथ यात्रा 2024

29 जुन से 19 अगस्त तक चलेगी बाबा अमरनाथ जी की यात्रा

श्री अमरनाथ यात्रा 2024

सभी हिंदू देवताओं में से, भगवान शिव भक्तों के बीच अत्यधिक पूजनीय और लोकप्रिय हैं। पवित्र बर्फ लिंगम के दर्शन करने के लिए, भक्त जून-अगस्त के महीनों में कश्मीर हिमालय में स्थित पवित्र गुफा तीर्थ की कठिन वार्षिक तीर्थयात्रा करते हैं। पवित्र तीर्थस्थल का प्रबंधन श्री अमरनाथजी श्राइन बोर्ड (एसएएसबी) द्वारा किया जाता है, जिसे 2000 में जम्मू और कश्मीर राज्य विधानमंडल के एक अधिनियम द्वारा गठित किया गया था। माननीय उपराज्यपाल, केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर श्राइन बोर्ड के अध्यक्ष हैं।

श्राइन बोर्ड श्री अमरनाथजी यात्रा के बेहतर प्रबंधन, पवित्र तीर्थयात्रियों के लिए सुविधाओं के उन्नयन और उससे जुड़े और प्रासंगिक मामलों के लिए जिम्मेदार है। एक मुख्य कार्यकारी अधिकारी, अतिरिक्त मुख्य कार्यकारी अधिकारी और प्रतिष्ठित बोर्ड सदस्यों की सहायता से, बोर्ड अपने जनादेश को पूरा करने की दिशा में प्रयासरत है।

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अमरनाथ यात्रा 29 जून 2024 को शुरू होने वाली है, जो दक्षिण कश्मीर हिमालय के पहाड़ों के माध्यम से श्री अमरनाथ की पवित्र गुफा तीर्थ तक एक पवित्र यात्रा है। यह वार्षिक तीर्थयात्रा दूर-दूर से भक्तों को आकर्षित करती है जो पवित्र गुफा मंदिर के भीतर प्राकृतिक रूप से बने बर्फ के लिंगम के रूप में भगवान शिव के प्रति सम्मान व्यक्त करने आते हैं।
तीर्थयात्रा 52 दिनों तक चलेगी, जो 29 जून से शुरू होगी और 19 अगस्त को समाप्त होगी।

अमरनाथ यात्रा भारत के जम्मू और कश्मीर राज्य में स्थित अमरनाथ गुफा मंदिर की एक हिंदू तीर्थयात्रा है। यह गुफा हिमालय में 3,888 मीटर (12,756 फीट) की ऊंचाई पर स्थित है। यह यात्रा जुलाई या अगस्त के महीने में की जाती है, जब माना जाता है कि गुफा में प्राकृतिक बर्फ का जमाव एक शिवलिंग का आकार ले लेता है, जो हिंदू भगवान शिव का प्रतिनिधित्व करता है। अमरनाथ यात्रा भारत में सबसे लोकप्रिय तीर्थयात्राओं में से एक है, जिसमें हर साल 30 लाख से अधिक तीर्थयात्री गुफा के दर्शन के लिए आते हैं। यह यात्रा चुनौतीपूर्ण है, क्योंकि इसमें गुफा तक एक लंबी और कठिन यात्रा शामिल है। हालाँकि, कई हिंदुओं के लिए, यात्रा के आध्यात्मिक पुरस्कार प्रयास के लायक हैं।

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श्री अमरनाथ यात्रा 2024 हेतु पंजीयन

श्री अमरनाथ यात्रा 2024 की यात्राओ को सुरक्षा की द्रष्टि से इस साल यात्रा पंजीयन अनिवार्य रूप से आवश्यक कर दिया गया है साथ ही श्री अमरनाथजी यात्रा 2024 के लिए आवश्यक स्वास्थ्य प्रमाण पत्र भी अनिवार्य कर दिया गया है जिसे बनवाने के लिए आपके राज्य के अधिसूचित डाक्टर से बनाया जा सकता है ! पंजीयन हेतु श्री अमरनाथ जी की आधिकारिक वेबसाइट https://www.jksasb.nic.in/index.html पर जाकर यात्रा पंजीयन हेतु आवश्यक निर्देशों का पालन करके पंजीयन किया जा सकता है ! पंजीयन करने हेतु 2 माध्यम दिए गये है जिसमे आप ऑनलाइन तथा ऑफलाइन दोनों प्रकार से पंजीयन करवा सकते है पंजीयन हेतु यात्री को आवश्यक रुप से स्वयम को उपस्थित होना अनिवार्य है ! यात्री पंजीयन हेतु श्री अमरनाथ जी की आधिकारिक वेबसाइट से बैंक की सूची अनुसार नामित बैंक से जाकर ऑनलाइन पंजीयन करवा सकते है, पंजीयन हेतु यात्री को स्वास्थ्य प्रमाण पत्र आवश्यक रूप से लेकर जाना अनिवार्य है ! ऑफलाइन पंजीयन हेतु यात्री को यात्रा कैंप में ये सुविधाए प्रदान की जाएगी जिसमे यात्री को थोडा समय लग सकता है !

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श्री अमरनाथ यात्रा 2024 हेतु आयु सीमा

श्री अमरनाथ यात्रा 2024 हेतु आयु सीमा की बात करे तो

क) यात्रियों हेतु 13 वर्ष से कम और 70 वर्ष से अधिक आयु नही होनी चाहिये ।
ख) 6 सप्ताह से अधिक की गर्भावस्था वाली किसी भी महिला को यात्रा 2024 के लिए पंजीकृत नही किया जायेगा

श्री अमरनाथ यात्रा 2024 हेतु मार्ग

अमरनाथ गुफा तक जाने के दो मुख्य मार्ग हैं: पहलगाम मार्ग और बालटाल मार्ग। पहलगाम मार्ग लंबा है, लेकिन कम खड़ी भी है। बालटाल मार्ग छोटा है, लेकिन तीव्र भी है।यात्रा आमतौर पर समूह में की जाती है, क्योंकि यह यात्रा करने का सबसे सुरक्षित तरीका है। ऐसी कई ट्रैवल एजेंसियां हैं जो समूह यात्रा यात्राएं आयोजित करती हैं। अमरनाथ यात्रा शारीरिक और मानसिक रूप से कठिन यात्रा है। हालाँकि, जो लोग प्रयास करने के इच्छुक हैं, उनके लिए यात्रा एक गहरा फायदेमंद अनुभव हो सकती है।

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श्री अमरनाथ यात्रा 2024 हेतु आवश्यक लिंक

The advance registration shall commence from 15th April, 2024

Compulsory Health Certificate (CHC) For Yatra 2024 in Hindi

Compulsory Health Certificate (CHC) for Yatra 2024 in English

State/UT wise List of Doctors/Institutions authorised to issue Compulsory Health Certificate (CHC) for Yatra 2024

State Wise List of Designated Bank Branches for Advance Registration 2024

Guidelines For Advance Registration for Yatra 2024

Guidelines for Group Registrations 2024

Application Form For Group and NRI / Ex-India Pilgrims 2024

Procedure for NRI / Ex india Pilgrims / Foreign Nationals for Yatra 2024

29 जून से प्रारंभ होगी बाबा अमरनाथ जी की यात्रा

हनुमान जन्मोत्सव पर खास संयोग, भक्तो पर होगी हनुमान जी विशेष कृपा

हनुमान जन्मोत्सव पर खास संयोग, भक्तो पर होगी हनुमान जी विशेष कृपा

रामभक्त हनुमान को संकटमोचन कहा जाता है। हनुमान जी की पूजा करने से आप हर प्रकार के संकट और बाधाओं से मुक्त हो जाते हैं। अपने भक्तों को हनुमान जी हर भय, पीड़ा से मुक्त रखते हैं। हनुमान जी की स्तुति का दिन हनुमान जन्मोत्सव इस साल 23 अप्रैल 2024, मंगलवार के दिन है। हनुमान जन्मोत्सव पर हनुमान जी की पूजा करने का विशेष महत्व है क्योंकि इस दिन हनुमान जी का जन्म हुआ था। इस दिन व्रत करने के अलावा बूंदी, हलवा, लड्डू जैसी मीठी चीजों का भोग लगाने से हनुमान की कृपा हमेशा अपने भक्तों पर बनी रहती है।

हनुमान जन्मोत्सव पर पूजा का शुभ मुहूर्त

हनुमान जयंती पर पूजा का शुभ मुहूर्त betultoday.com

हनुमान जन्मोत्सव पर पूजा का शुभ मुहूर्त

पंचांग के अनुसार चैत्र पूर्णिमा के तिथि 23 अप्रैल 2024 को सुबह 3:25 बजे से शुरू होगी, और 24 अप्रैल 2024 को सुबह 5:18 बजे समाप्त होगी। इस कारण से हनुमान जन्मोत्सव का दिन 23 अप्रैल को मनाया जाएगा। आप सुबह 3:25 से लेकर 5:18 के बीच हनुमान जी की पूजा कर सकते हैं। इस समयकाल में पूरे दिन शुभ मुहूर्त रहेगा।

हनुमान जन्मोत्सव पर खास संयोग

हनुमान जन्मोत्सव पर खास संयोग

इस साल हनुमान जन्मोत्सव का महत्व और भी ज्यादा बढ़ गया है क्योंकि हनुमान जन्मोत्सव मंगलवार के दिन है। जब हहनुमान जन्मोत्सव मंगलवार या शनिवार के दिन पड़ती है, तो हनुमान जन्मोत्सव और भी विशेष होती है। इसके अलावा इस दिन चित्रा नक्षत्र भी पड़ रहा है, चित्रा नक्षत्र के स्वामी मंगल है। मंगलवार का दिन भगवान हनुमान को समर्पित होता है। हनुमान जन्मोत्सव पर एक और संयोग बन रहा है कि इस दिन मंगल मीन राशि में गोचर कर रहे हैं। पौराणिक कहानियों के अनुसार हनुमान जी को अमरत्व का वरदान प्राप्त है। हनुमान बाबा पर आस्था और श्रद्धा रखने वाले भक्त मानते हैं कि हनुमान जी कलियुग में भी हैं और अपने भक्तों के सभी संकटों और कष्टों को दूर कर रहे हैं। जो लोग आकस्मिक संकट, रोग पीड़ा, मृत्यु भय जैसी समस्याओं से जूझ रहे हैं, उन्हें हनुमान जी की पूजा जरूर करनी चाहिए।

हनुमान जन्मोत्सव पर हनुमान जी की पूजा विधि

हनुमान जयंती पर आप सुबह जल्दी उठकर हनुमान जी को प्रणाम करके उनका पांच बार नाम लेकर नमन करें। इसके बाद स्नान आदि करके पीले वस्त्र धारण करें और हनुमान जी के प्रतिमा के सामने बैठकर हाथ में जल लेकर ‘ॐ केशवाय नम:, ॐ नाराणाय नम:, ॐ माधवाय नम:, ॐ हृषीकेशाय नम: मंत्र का उच्चारण करें। इसके बाद सूर्यदेव को भी नमन करें और उगते हुए सूरज को जल अर्पित करें। इसके बाद हनुमान चालीसा, सुंदर कांड का पाठ करें और बूंदी या लड्डू का भोग हनुमान जी को लगाएं। हनुमान जी का प्रसाद भक्तों में बांटना न भूलें। इससे आपको भगवान हनुमान की विशेष कृपा प्राप्त होगी।

जानिये क्यो कहा जाता है हनुमान जी को संकट मोचन

जो कोई भक्त महावीर हनुमान का ध्यान करता रहता है, उसके सब संकट स्वयं ही कट जाते है और सभी पीड़ाएं भी नष्ट हो जाती हैं.
श्री हनुमान अजर अमर हैं इसीलिए उनकी उपासना हर जीवन का विकास करती है. संकट कोई भी हो, परेशानी मानसिक हो या फिर शारीरिक, कष्ट लौकिक हो या फिर पारलौकिक पवनपुत्र सभी अनिष्ट को काटने की ताकत रखते हैं.

ऐसे करे मारुतीनंदन को प्रसन्न

  • हनुमान जी का दिल बहुत ही उदार हैं, इसलिए आपको हमेशा लोगों के लिए उदारता दिखानी चाहिए। आपको गरीब और जरुरतमंदों की मदद करनी चाहिए। खासतौर पर आपको हनुमान जयंती पर गरीबों में अन्न जरूर बांटना चाहिए।
  • हनुमान जी श्रीराम के परभक्त माने जाते हैं, इसलिए आपको हनुमान जयंती पर भगवान राम की स्तुति भी करनी चाहिए, इससे हनुमान जी प्रसन्न होते हैं।