स्टैंडअप इंडिया योजना के तहत 10 लाख से रु. 1 करोड़ के बीच बैंक ऋण, जाने पूरी डिटेल्स मोदी सरकार ने स्टैंड अप इंडिया स्कीम 2016 में लॉन्च की थी. ये औरतों और एससी-एसटी श्रेणी के लोगों के लिए है. यह कारोबारी रूप से महिलाओं को सक्षम करने के लिए शुरू की गई थी. अपने पैरों पर आर्थिक रूप से खड़ा होने, आंत्रप्रन्योरशिप को बढ़ावा देने के लिए इस स्कीम में लोन मिलता है लेकिन यह ऑफर केवल ग्रीन फील्ड प्रोजेक्ट्स यानी पहली बार काम खोलने वालों के लिए है. 18 वर्ष से अधिक आयु होनी चाहिए जो इसके तहत अप्लाई करना चाहती हैं तो. लोन की रकम 10 लाख रुपये से शुरू होती है. मैन्युफैक्चरिंग, सर्विसेस, कृषि संबंधित गतिविधियों या व्यापार क्षेत्र के लिए ही लोन मिलता है.
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स्टैंडअप इंडिया योजना
उत्तिष्ठ भारत (Stand-up India) योजना का उद्देश्य प्रत्येक बैंक शाखा द्वारा कम से कम एक अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति के उधारकर्ता और एक महिला उधारकर्ता को नई (Greenfield) परियोजना की स्थापना के लिए रु. 10 लाख से रु. 1 करोड़ के बीच बैंक ऋण प्रदान करना है। ये उद्यम विनिर्माण, सेवा या व्यापार क्षेत्र से संबंधित हो सकते हैं। गैर-व्यक्ति उद्यम के मामले में, 51% शेयरधारिता व नियंत्रक हिस्सेदारी अनुसूचित जाति /अनुसूचित जनजाति या महिला उद्यमी के पास होनी चाहिए।
स्टैंडअप इंडिया योजना के तहत 10 लाख से रु. 1 करोड़ के बीच बैंक ऋण, जाने पूरी डिटेल्स
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स्टैंडअप इंडिया योजना कैसी करती है काम
स्टैंडअप इंडिया योजना 5 अप्रैल 2016 को शुरू की गई थी. इसका उद्देश्य जमीनी स्तर पर उद्यमशीलता को बढ़ावा देकर आर्थिक सशक्तीकरण और रोजगार सृजन करना था. योजना का वर्ष 2025 तक विस्तार किया गया है. अपना कारोबार शुरू करने और विनिर्माण, सेवा तथा व्यापार क्षेत्र और कृषि से जुड़े उद्यम लगाने में अनुसूचित जाति, जनजाति और महिला उद्यमियों के समक्ष आने वाली चुनौतियों के समाधान के लिए यह योजना शुरू की गई थी. वित्त मंत्री ने कहा, इस योजना ने एक परिवेश तैयार किया जो बैंकों से ऋण लेकर नए उद्यम लगाने की सुविधा देता है.
योजना का लाभ लेने के लिए पात्रता
– अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति और/या 18 वर्ष से अधिक आयु की महिला उद्यमी.
– योजना के तहत ऋण केवल ग्रीन फील्ड परियोजनाओं के लिए उपलब्ध हैं. ग्रीन फील्ड, इस संदर्भ में, निर्माण, सेवाओं या व्यापार क्षेत्र और कृषि से संबद्ध गतिविधियों में लाभार्थी का पहला बिजनेस हो.
– गैर-व्यक्तिगत उद्यमों के मामले में, 51% शेयरहोल्डिंग और नियंत्रण हिस्सेदारी या तो SC/ST या महिला उद्यमी के पास होनी चाहिए.
– उधारकर्ता किसी भी बैंक/वित्तीय संस्थान के लिए डिफॉल्टर नहीं होना चाहिए.
– इस योजना में ‘15% तक’ मार्जिन मनी का कॉन्सेप्ट है. इसके तहत किसी भी मामले में, उधारकर्ता को परियोजना लागत का कम से कम 10% अपने योगदान के रूप में लाना होगा.
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