पुलिस मुख्यालय, भोपाल में महिला सुरक्षा शाखा द्वारा ”सायबर इनेबल्ड ह्युमन ट्रेफिकिंग” विषय पर शुक्रवार को एक दिवसीय सेमिनार का आयोजन किया गया। प्रज्जवला संस्था के सहयोग से आयोजित इस सेमिनार में तकनीक का प्रयोग कर मानव दुर्व्यापार के तरीकों और उन पर नियंत्रण पाने के लिए मंथन किया गया। कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि एडीजी सायबर सेल श्री योगेश देशमुख ने बताया कि तकनीक का इस्तेमाल लोगों के जीवन को सुविधाजनक बना रहा है, लेकिन इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि यह उनके लिए खतरा भी है। मानव दुर्व्यापार में लिप्त लोग तकनीक के प्रयोग को अधिक सुरक्षित मानते हैं। वह तकनीक का उपयोग करने में शातिर हैं और आसानी से नागरिकों को अपने जाल में फंसा लेते हैं। मध्यप्रदेश पुलिस लगातार ऐसे अपराधियों का डेटा बेस के आधार पर रणनीति तैयार कर मानव दुर्व्यापार रोक रही है। हमारे पुलिस अधिकारियों और कर्मचारियों को दक्ष बनाया जा रहा है, ताकि वे समन्वय स्थापित कर सायबर अपराधियों को पकड़कर पीड़ितों को न्याय दिला सके। हालांकि मानव दुर्व्यापार रोकने के लिए नागरिकों को भी जागरूक होने की आवश्यकता है। महिला सुरक्षा शाखा की एडीजी श्रीमती प्रज्ञा ऋचा श्रीवास्तव के मार्गदर्शन में आयोजित इस सेमिनार में महिला सुरक्षा शाखा की आईजी श्रीमती हिमानी खन्ना, एआईजी श्रीमती किरणलता केरकट्टा, एआईजी श्रीमती प्रतिभा त्रिपाठी, एआईजी सुश्री पिंकी जीवनानी, अतिरिक्त पुलिस उपायुक्त, उप पुलिस अधीक्षक, महिला थाना प्रभारी, जीआरपी थाना प्रभारी एवं सायबर पुलिस अधिकारी उपस्थित थे। संचालन महिला सुरक्षा शाखा के एआईजी वीरेंद्र मिश्रा ने किया।
महिलाएं और बच्चे ही नहीं, पुरुष वर्ग भी हो रहे मानव दुर्व्यापार के शिकार :-
प्रज्जवला की प्रोजेक्ट एडवाइजर डॉ. सुनीथा कृष्णन ने कहा कि तकनीक का उपयोग कर मानव दुर्व्यापार में लिप्त आरोपी, पीड़ित को गुमराह कर अपने झांसे में फंसाते हैं या लालच देकर उन्हें शोषण की ओर धकेला जाता है। यह केवल महिलाओं और बच्चों के साथ नहीं बल्कि पुरुष वर्ग के साथ भी हो रहा है। पहले यह माना जाता था कि केवल गरीब, अशिक्षित, विशेष समुदाय या जाति के लोगों के साथ इस तरह की घटनाएं होती हैं, जबकि हर आयु, लिंग, वर्ग और समुदाय के लोगों के साथ मानव दुर्व्यापार संबंधी अपराध बढ़ रहे हैं। सबसे बढ़ी चिंता का विषय यह है कि हमारे बच्चे भी इसका शिकार बन रहे हैं। उन्हें ऑनलाइन गेमिंग एप और वेबसाइट्स के माध्यम से सेक्सटॉर्शन की ओर धकेला जा रहा है।
कोरोना के बाद से अचानक बढ़े मामले
प्रज्जवला टीम की प्रोजेक्ट क्वार्डिनेट स्वस्ति राणा ने कहा कि मानव दुर्व्यापार के लिए तकनीक का उपयोग अधिक बढ़ा है। दरअसल ऑनलाइन क्लासेस के लिए बच्चों के हाथ में मोबाइल पहुंच गया, जिसका फायदा उठाकर मानव दुर्व्यापार करने वालों ने बच्चों को शिकार बनाना शुरू किया। हमारी संस्था 11 राज्यों में शोध कर रही है, जिसके बाद सरकार के साथ मिलकर मानव दुर्व्यापार रोकने में नेशनल एक्शन प्लान बनाने में मदद मिलेगी।
अकेलापन महसूस करने वाली महिलाएं रहती हैं टारगेट
प्रज्जवला की रिसर्च ऑफिसर ताबिश अहसान ने बताया कि सोशल मीडिया के माध्यम से लोगों को गुमराह कर मानव दुर्व्यापार की ओर धकेला जाता है। इनमें विशेषकर अकेलापन महसूस करने वाली महिलाएं और युवतियां मानव तस्करों के टारगेट पर होती हैं। उन्होंने बताया कि ऐसी महिलाओं की भावनाओं को सोशल मीडिया के माध्यम से समझते हुए पहले तो उनसे दोस्ती की जाती है और जीवनभर उनका साथ निभाने का झांसा देकर उन्हें मानव दुर्व्यापार का शिकार बनाया जाता है।
अलग–अलग सोशल प्लेटफार्म्स का करते हैं उपयोग
प्रज्जवला के सायबर एक्सपर्ट लेफ्टिनेंट कर्नल विजय किशोर झा ने बताया कि सोशल मीडिया साइट्स, जॉब प्रोवाइडिंग वेबसाइट्स, ऑनलाइन गेम्स और डेटिंग साइड्स आदि के माध्यम से लोगों को मानव तस्कर अपने जाल में फंसाते हैं। उन्होंने ऑनलाइन माध्यमों का उपयोग करते हुए मानव दुर्व्यापार पर नियंत्रण किस तरह किया जा सकता है इसकी जानकारी दी।
जल्द अमीर बनाने का सपना दिखाकर फंसाते हैं जाल में
प्रज्जवला के लीगल एक्सपर्ट आदिरा श्रीनिवासन ने मानव दुर्व्यापार के तीन अंतर्राष्ट्रीय मामलों का उदाहरण दिया। उन्होंने बताया कि अधिकतर ऐसे मामलों में जल्दी अमीर बनाने का झांसा देकर लोगों को फंसाया जाता है। कई बार पूरा परिवार झांसे में आ जाता है। उन्होंने शोषण के लिए ऑस्ट्रिया, अमेरिका में शोषण के मामलों और इंडोनेशिया में ऑर्गन की तस्करी के लिए लोगों को शिकार बनाने के बारे में जानकारी दी।
हर पहलू की बारिकी से हो पड़ताल
प्रज्जवला के सायबर इन्वेस्टिगेटर मोहम्मद रियाजउद्दीन ने बताया कि मानव दुर्व्यापार एक संगठित अपराध है। ऐसे मामलों में इन्वेस्टिगेशन के समय हर पहलू पर ध्यान देने की जरूरत है। खास तौर पर किस तरह का अपराध है, क्यों किया जा रहा है, किस तकनीक का उपयोग किया जा रहा है, लेनदेन किस माध्यम से किया जा रहा है, पीड़ित कौन है, किस क्षेत्र का है और किन कारणों से उसे मानव दुर्व्यापार का शिकार बनाया जा रहा है, इन सभी पहलुओं पर गहनता से जांच जरूरी है। न केवल पुलिस बल्कि स्वयं सेवी संस्थाओं को भी सहयोग देना आवश्यक है।
सायबर इनेबल्ड ह्यूमन ट्रैफिकिंग के मामलों पर हुई समूह चर्चा :-
सेमिनार में सायबर इनेबल्ड ह्युमन ट्रैफिकिंग को रोकने में मध्यप्रदेश पुलिस द्वारा सुलझाए गए मामलों के बारे में समूह चर्चा की गई। इसके बाद प्रश्नावली के माध्यम से डेटा कलेक्शन किया गया। इसमें सायबर और महिला सुरक्षा के लिए तत्पर मध्यप्रदेश पुलिस के निरीक्षक और प्रज्जवला संस्था के प्रतिनिधि शामिल रहे।